Binsar Mahadev (बिनसर महादेव)- Best Place To Visit in Uttarakhand
बिनसर महादेव (Binsar Mahadev) देवदार के घने वृक्षों के बीच, रानीखेत से लगभग 15 किलोमीटर दूर स्थित है । कुज गढ़ नदी के किनारे बिनसर महादेव का सुंदर मंदिर समुद्र सतह से लगभग 25 सौ मीटर की ऊंचाई पर अवस्थित है ।
अगर आप उत्तराखण्ड घूमने आये हुए हैं, या फिर यहाँ आने का प्लान कर रहे हैं, तो यह जगह आप को जरूर देखनी चाहिए। यहाँ आपको प्रकृति की अद्भुत सुंदरता के साथ-साथ समस्त मानसिक विचारों को शांत करने वाली अद्भुत अनुभूति भी भगवान भोलेनाथ की कृपा से जरूर मिलेगी।
History of Binsar Mahadev (बिनसर महादेव का इतिहास)
प्राचीन समय में यहां बहुत छोटा मंदिर स्थित था। प्राचीन मान्यता है कि एक गाय प्रतिदिन शिवजी के लिंग के ऊपर दूध देती थी, यह गाय मनिहारों की थी, मनिहारों ने देखा तो उन्होंने शिवलिंग पर कुल्हाड़ी द्वारा प्रहार किया प्रहार करते ही लिंग से रक्त की धारा बह निकली .
उसी रात भगवान शंकर ने मनिहार के सपने में आकर कहा हे ! मनिहार तू अपने पूरे परिवार सहित यह स्थान छोड़ दे, मनिहारों ने यह स्थान हमेशा के लिए छोड़ दिया ऐसा माना जाता है कि मनिहार तत्पश्चात रामनगर चले गए .
जनश्रुति के अनुसार सौनी-बिनसर के नजदीक, किरोला गांव में एक 65 वर्षीय निसंतान दंपति थे, साधु ने सपने में दंपति को दर्शन देकर कहां की झाड़ी के पास एक शिव लिंग है ,उस की प्रतिष्ठा करके मंदिर का निर्माण करो, तुम्हे पुत्र की प्राप्ति होगी।
सन 1959 में श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा से जुड़े बाबा मोहनगिरी ने उस मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया श्री मोहनगिरी बाबा जी एक महान तपस्वी थे, श्री मोहनगिरी बाबा जी त्यागी व दिव्य मूर्ति थे,उन्होने कई वर्षों तक कठिन तपस्या की और उनको शंकर भगवान जी के दर्शन प्राप्त हुये।
उन्ही के अथक प्रयास से आज यह मंदिर अत्यंत विशाल रूप में स्थित है, मंदिर के प्रांगण मेँ सुंदर पुष्प वाटिका है, जहां प्रत्येक मौसम मेँ नाना प्रकार के दिव्य पुष्प खिले रहते हैं.
Binsar Mahadev मे पहुँचते हि अत्यंत शांति का अनुभव होता है। 1970 से मंदिर में अखंड ज्योति निरंतर जल रही है अब मंदिर कई देवी-देवताओं का समूह है।
सर्वप्रथम मंदिर प्रवेश करते ही गणेश जी की प्रतिमा के दर्शन होते हैं ,तत्पश्चात राम दरबार मंदिर, शिव पार्वती मंदिर, काल भैरव मंदिर, दुर्गा माता मंदिर, राधा कृष्ण मंदिर, दत्तात्रेय भगवान मंदिर, काली माता मंदिर, सरस्वती माता मंदिर, लक्ष्मी नारायण मंदिर एवं बाबा मोहन गिरी जी महाराज की समाधि के दर्शन होते हैं।
भगवान कृष्ण का अर्जुन को, विराट रूप मैं दर्शन देना इस मंदिर का मुख्य आकर्षण है, जिसे मूर्ति रूप में बड़ी ही सुंदरता से उकेरा गया है, जो देखते ही बनता है। मंदिर के प्रत्येक दीवारों पर देवी-देवताओं के भव्य चित्रों को उकेरा गया है, पास ही में बाबाजी की कुटिया भी है, जहां निरंतर धूनी जलती रहती है।
बाबा मोहन गिरी जी के ब्रह्मलीन होने के बाद Binsar mahadev मंदिर की संपूर्ण व्यवस्था की देख-रेख 1008 श्री महंत रामगिरी महाराज जी द्वारा की जा रही है,
यहां पूर्व में श्री शंकर शरण गिरी संस्कृत विद्यापीठ की स्थापना की गई है, यहाँ अनेक छात्र संस्कृत विद्या का अध्ययन करते थे।
Best Time to Visit ( घूमने का उचित समय)
बिनसर महादेव मंदिर में, प्रतिवर्ष मई-जून के मध्य में विशाल भागवत कथा का वाचन किया जाता है, कथा के साथ -साथ प्रतिदिन वैदिक रीति से यज्ञ भी किया जाता है, वैदिक मन्त्रों के उच्चारण से सम्पूर्ण स्थान मानो ब्रह्ममयी हो जाता है। यह अनुभूति बहुत ही खास होती है। यूं तो यहां कभी भी जाया जा सकता है मगर यज्ञ के दौरान यहां घूमना सबसे उचित समय है।
इस दौरान कथा श्रवण के लिए यहां लाखो की संख्या में श्रद्धालु गण आते हैं और अपनी ज्ञान पिपासा को शांत करते हैं।
यज्ञ के समापन के दिन यहां विशाल भंडारे का आयोजन किया जाता है, और प्रसाद लेकर लोग अपने को धन्य मानते हैं। प्रकृति की गोद में बसा यह स्थान अत्यंत ही रमणीक एवं मनमोहक है।